वो बेबाक बोलते है .....धर्म को ।
सही भी है , किसी #पाकिस्तानी मुसलमान और #भारत के बीच अगर चुनने की नौबत आ जाए , तो वो बेझिझक अपना घोषित पक्ष चुन सकते है । जिसमे किसी को भी आश्चर्य नही होगा ।
आखिर यूँ ही पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री का ये बयान नही आता कि हिंदुस्तान में हमारे 25 करोड़ सिपाही है ।
दिक्कत तो वहाँ है , जहाँ रातो दिन देशभक्ति की लोरिया सुनने के बाद भी जरुरत के समय पीठ दिखाकर भागते युवक दिखाई देते है ।
#जेएनयू वाले पूछते है , कि कश्मीर की आज़ादी की मांग करने से कोई देशद्रोही कैसे हो जाता है ???
रविश कुमार के मुताबिक अपने हक़ की बात करना देश द्रोह कैसे हो सकता है ???
फिर ऐसी ही तो कुछ मांगे #नक्सली और #कश्मीरी भी करते रहे है । क्या वो भी देश द्रोही है ।
और ऐसे समय में जब बात बेबात असहिष्णुता और देश छोड़ने की बाते आम है , देशभक्ति कहाँ रह जाती है उस समय ।
यूपीएससी की परीक्षा पास कर #बीएसएफ में नियुक्ति मिलने पर 60 फीसद छात्रों ने नौकरी छोड़ दी ।
जब कारण पूछा गया तो बीएसएफ पर बढ़ते हमले और जमीनी समस्याओं से जुडी मीडिया रिपोर्ट्स को वजह बताया गया ।
यही छात्र जब इंटरव्यू बोर्ड के सामने होते है तो विश्वास कीजियेगा ...... खुद को देशभक्त साबित करने के लिए सीना चीर कर दिखाने को भी तैयार मिलते है ।
मगर वास्तविक परिस्थितियों में वही अवसर मिलने पर वो मैदान छोड़ कर गायब हो गए ।
हम किस मुह से चीन , जापान और इजराइल जैसे देशों का मुकाबला करने की बात कर सकते है ।
जब जरूरत के समय हर बार हमें शर्मिदा होना पड़ता है ।
दरअसल हज़ारो सालो की गुलामी ने हमारे अंदर मौकापरस्ती कूट कूट कर भर दी है ।
इसके प्रमाण समय समय पर दिखते रहे है ।
1857 की क्रांति के समय बड़ा तबका जो आर्थिक रूप से सम्पन्न था , वो अंग्रेजो के साथ खड़ा था ।
1962 के युद्ध में केरल , पश्चिम बंगाल की मार्क्सवादी सरकारे चीन के पक्ष में खुल कर आवाज बुलंद कर रही थी ।
आज भी भारतीय विश्व में सबसे अधिक पलायन कर सुविधाजनक जगहों पर बसने को तरजीह दे रहे है ।
जरा अन्य देशों के उदाहरण देखिए
चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा कर , अपने मूल निवासियों से तिब्बत में बसने का निवेदन किया , जिससे तिब्बती अल्पसंख्यक हो जाए ।
भारी संख्या में चीनी आबादी अपने मूल जन्मस्थान को छोड़ कर वीरान और अभाव ग्रस्त तिब्बत में जा कर बस गई ।
जहाँ बुनियादी सुविधाएं तक नही थी ।
चीन वर्तमान में एक बार फिर #उईगर मुस्लिम बहुल क्षेत्रो में , जहाँ सबसे अधिक समस्याएं है , अपने मूल निवासियों को बसने को कह रहा है ।
और चीन के हर निवासी एक सैनिक की तरह अपनी सरकार के निर्णय का समर्थन कर रहे है ।
इस मामले में जापान और इजराइल के उदाहरण तो भारतीयों के लिए दिवास्वप्न सरीखे ही होंगे ।
जब कि पाकिस्तान और म्यांमार भी इस मामले में हम से कोसो आगे है ।
सिर्फ मौज के लिए सेवा करना , दिखावे की राष्ट्रभक्ति करना ...कहना गलत न होगा हम देशवासी कम सहयात्री ज्यादा है ।
सिर्फ अपनी मंजिल तक पहुचने के लिए जो देश नाम की गाडी और उसके संसाधनों को दुह रहे है ।
यूपीएससी को चाहिए , जिन लोगो ने बीएसएफ के नाम पर नौकरी ज्वाइन नही की , उन्हें भविष्य में परीक्षा देने के लिए अयोग्य घोषित कर दे ।
क्योकि सिर्फ पिक्चर हाल में ही फिल्म शुरू होने से पहले खड़े हो जाने भर से देश नही बनता ।

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