विगत कुछ समय से जिस प्रकार से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सुलग रहा है यह निश्चित ही चिंतन का विषय है
चिंतन विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए, चिंतन UGC के लिए, चिंतन सरकार के लिए, चिंतन छात्रों के लिए,चिंतन छात्रों के भविष्य के लिए, चिंतन अभिभावकों के लिए...
ये समग्र चिंतन का विषय इस लिए भी है क्योंकि जिस विश्वविद्यालय को राष्ट्रवाद की नर्सरी कहा जाता हो एवं जिस मिट्टी के कण कण में महामना के विचार बसते हो वहाँ जब पढाई की जगह लड़ाई होने लगे तो उसे किसी नजरिए से उचित नहीं ठहराया जा सकता...
अराजक तत्वों द्वारा कभी बमबाजी करना तो कभी आगजनी करना, कभी पत्थरबाजी करना ,तो कभी तोड़फोड़ करना अब विश्वविद्यालय में शक्ति प्रदर्शन का जरिया बन गया है यह कही न कहीं विश्वविद्यालय प्रशासन की निकृष्टता को प्रदर्शित करता है ऐसी घटनाओं प्रशासनिक लापरवाही कहके हम टाल भी नहीं सकते क्युकि चीफ प्राक्टर के बयान के अनुसार हर द्वार पर 20 -30 अराजक तत्व मौजूद थे...
सवाल तो ये भी उठता है कि प्राक्टोरियल बोर्ड की 1200 की भारी भरकम फौज तब क्या कर रही थी..
हर चौराहे पर मौजूद गार्ड क्या कर रहे थे कि सुचना भी आफिस तक न पहुचीं, 2 घंटे तक विश्वविद्यालय प्रशासन मुक बन कर घटना की मौन स्वीकृति देता रहा
अगर विश्वविद्यालय अराजक तत्वों द्वारा हाईजैक कर लिया जाता है एवं विश्वविद्यालय के सुरक्षा तंत्र को भनक भी नहीं लगती है या ये कहा जाए कि सुरक्षा तंत्र निष्क्रिय होकर किसी बड़े घटना का इंतजार कर रहा था
वैसे छात्रों के बीच चल रहे सुगबुगाहट को देखा जाए तो चर्चा यह भी है कि इसमें सुरक्षा तंत्र का भी पुरा सहयोग रहा
आज की जरूरत यह है कि प्राक्टोरियल बोर्ड ईमानदारी से अपना काम करे एवं उपद्रवीयों से सख्ती से निपटे एवं ऐसी घटनाओं को विश्वविद्यालय परिषर में रोकना हम आम छात्रो की भी जिम्मेदारी है क्योंकि विश्वविद्यालय की संपत्ति राष्ट्र की संपति है एवं इसकी सुरक्षा हम सब की जिम्मेदारी है
( ये मेरे निजी विचार हैं)
चिंतन विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए, चिंतन UGC के लिए, चिंतन सरकार के लिए, चिंतन छात्रों के लिए,चिंतन छात्रों के भविष्य के लिए, चिंतन अभिभावकों के लिए...
ये समग्र चिंतन का विषय इस लिए भी है क्योंकि जिस विश्वविद्यालय को राष्ट्रवाद की नर्सरी कहा जाता हो एवं जिस मिट्टी के कण कण में महामना के विचार बसते हो वहाँ जब पढाई की जगह लड़ाई होने लगे तो उसे किसी नजरिए से उचित नहीं ठहराया जा सकता...
अराजक तत्वों द्वारा कभी बमबाजी करना तो कभी आगजनी करना, कभी पत्थरबाजी करना ,तो कभी तोड़फोड़ करना अब विश्वविद्यालय में शक्ति प्रदर्शन का जरिया बन गया है यह कही न कहीं विश्वविद्यालय प्रशासन की निकृष्टता को प्रदर्शित करता है ऐसी घटनाओं प्रशासनिक लापरवाही कहके हम टाल भी नहीं सकते क्युकि चीफ प्राक्टर के बयान के अनुसार हर द्वार पर 20 -30 अराजक तत्व मौजूद थे...
सवाल तो ये भी उठता है कि प्राक्टोरियल बोर्ड की 1200 की भारी भरकम फौज तब क्या कर रही थी..
हर चौराहे पर मौजूद गार्ड क्या कर रहे थे कि सुचना भी आफिस तक न पहुचीं, 2 घंटे तक विश्वविद्यालय प्रशासन मुक बन कर घटना की मौन स्वीकृति देता रहा
अगर विश्वविद्यालय अराजक तत्वों द्वारा हाईजैक कर लिया जाता है एवं विश्वविद्यालय के सुरक्षा तंत्र को भनक भी नहीं लगती है या ये कहा जाए कि सुरक्षा तंत्र निष्क्रिय होकर किसी बड़े घटना का इंतजार कर रहा था
वैसे छात्रों के बीच चल रहे सुगबुगाहट को देखा जाए तो चर्चा यह भी है कि इसमें सुरक्षा तंत्र का भी पुरा सहयोग रहा
आज की जरूरत यह है कि प्राक्टोरियल बोर्ड ईमानदारी से अपना काम करे एवं उपद्रवीयों से सख्ती से निपटे एवं ऐसी घटनाओं को विश्वविद्यालय परिषर में रोकना हम आम छात्रो की भी जिम्मेदारी है क्योंकि विश्वविद्यालय की संपत्ति राष्ट्र की संपति है एवं इसकी सुरक्षा हम सब की जिम्मेदारी है
( ये मेरे निजी विचार हैं)

I am fully agreed with you.What we have to do for changing current scenario. i am with you.
ReplyDeleteThanks dear... 🙏
DeleteCollege institutions have become a den for goon elements who masquerade as students. Politics in campus should be banned and that is the only solution. A concern is ther in everyones mind on the deteriorating situation in college campuses.
ReplyDelete🙏
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