Friday, 19 May 2017

नाथुराम गोडसे की जयंती विशेष ...



आज नाथुराम गोडसे की जन्म तिथि है !

वर्षों बाद किसी एक कवि ने दबे सच को फिर से उजागर करने की कोशिश की है !

आप सभी  साहित्य प्रेमी पाठकों के लिए कवि की मूल कविता नीचे विस्तार से लिखी गयी है !
 

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माना गांधी ने कष्ट सहे थे ,  
अपनी पूरी निष्ठा से ।
और भारत प्रख्यात हुआ है,
उनकी अमर प्रतिष्ठा से ॥

किन्तु अहिंसा सत्य कभी,
अपनों पर ही ठन जाता है ।
घी और शहद अमृत हैं पर ,
मिलकर के विष बन जाता है।

अपने सारे निर्णय हम पर,
थोप रहे थे गांधी जी ।
तुष्टिकरण के खूनी खंजर,
घोंप रहे थे गांधी जी ॥

महाक्रांति का हर नायक तो,
उनके लिए खिलौना था ।
उनके हठ के आगे,      
जम्बूदीप भी बौना था ॥

इसीलिये भारत अखण्ड,
अखण्ड भारत का दौर गया ।
भारत से पंजाब, सिंध,
रावलपिंडी,लाहौर गया ॥

तब जाकर के सफल हुए,    
जालिम जिन्ना के मंसूबे ।
गांधी जी अपनी जिद में ,
 पूरे भारत को ले डूबे ॥

भारत के इतिहासकार,
थे चाटुकार दरबारों में ।
अपना सब कुछ बेच चुके थे,
नेहरू के परिवारों में ॥

भारत का सच लिख पाना,
था उनके बस की बात नहीं ।
वैसे भी सूरज को लिख पाना,
जुगनू की औकात नहीं ॥

आजादी का श्रेय नहीं है,  
गांधी के आंदोलन को ।
इन यज्ञों का हव्य बनाया,
शेखर ने पिस्टल गन को ॥

जो जिन्ना जैसे राक्षस से,
मिलने जुलने जाते थे ।
जिनके कपड़े लन्दन, पेरिस,
दुबई में धुलने जाते थे ॥

कायरता का नशा दिया है,
गांधी के पैमाने ने ।
भारत को बर्बाद किया,  
नेहरू के राजघराने ने ॥

हिन्दू अरमानों की जलती,
एक चिता थे गांधी जी ।
कौरव का साथ निभाने वाले,
भीष्म पिता थे गांधी जी ॥

अपनी शर्तों पर इरविन तक,
को भी झुकवा सकते थे ।
भगत सिंह की फांसी को,  
दो पल में रुकवा सकते थे ।।

मन्दिर में पढ़कर कुरान,            
वो विश्व विजेता बने रहे ।
ऐसा करके मुस्लिम जन,  
मानस के नेता बने रहे ॥

एक नवल गौरव गढ़ने की,
हिम्मत तो करते बापू  ।
मस्जिद में गीता पढ़ने की,
 हिम्मत तो करते बापू  ॥

रेलों में, हिन्दू काट-काट कर,
भेज रहे थे पाकिस्तानी ।
टोपी के लिए दुखी थे वे,    
पर चोटी की एक नहीं मानी ॥

मानों फूलों के प्रति ममता,
खतम हो गई माली में ।
गांधी जी दंगों में बैठे थे,
छिपकर नोवा खाली में ॥

तीन दिवस में श्री राम का,
धीरज संयम टूट गया ।
सौवीं गाली सुन, कान्हा का
चक्र हाथ से छूट गया ॥

गांधी जी की पाक, परस्ती पर
जब भारत लाचार हुआ ।
तब जाकर नाथू,                
बापू वध को मज़बूर हुआ ॥

गये सभा में गांधी जी,        
करने अंतिम प्रणाम ।
ऐसी गोली मारी गांधी को,
याद आ गए श्री राम ॥

मूक अहिंसा के कारण ही
भारत का आँचल फट जाता ।
गांधी जीवित होते तो        
फिर देश,  दुबारा बंट जाता ॥

थक गए हैं हम प्रखर सत्य की
अर्थी को ढोते ढोते ।
कितना अच्छा होता जो      
नेता जी राष्ट्रपिता होते ॥

नाथू को फाँसी लटकाकर
गांधी जो को न्याय मिला ।
और मेरी भारत माँ को    
बंटवारे का अध्याय मिला ॥

लेकिन जब भी कोई भीष्म
कौरव का साथ निभाएगा ।
तब तब कोई अर्जुन रण में
उन पर तीर चलाएगा ॥

अगर गोडसे की गोली      
उतरी ना होती सीने में ।
तो हर हिन्दू पढ़ता नमाज ,
फिर मक्का और मदीने में ॥

भारत की बिखरी भूमि
अब तलक समाहित नहीं हुई ।
नाथू की रखी अस्थि        
अब तलक प्रवाहित नहीं हुई ॥

इससे पहले अस्थिकलश को
सिंधु सागर की लहरें सींचे ।
पूरा पाक समाहित कर लो  
इस भगवा झंडे के नीचें ॥
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(भारत के इस सत्य इतिहास को प्रसारित करने के लिए शेयर अवश्य करें)    

🇮🇳🙏🙏🙏

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