कुछ हरामखोरो की साजिश पर फिरा पानी,
वो हरामखोर आतंकी ही कहलाये जाने चाहिए और देश को ये सोचना पड़ेगा कि कहीं मोदी सरकार को बदनाम करने की तो साजिश नही जिसके लिए हरामखोर कई लोगो को मौत के हवाले करने से भी नही झिझकते।
घटना 1 दिस रात 2 बजे की है जब देहरादून एक्सप्रेस अपनी पूरी गति से चल रही थी , कोटा के पास 2000 यात्रियों के साथ 100 किमी की रफ़्तार से जिसमे यात्री निश्चितता से सोये हुए थे, उसी रेल ट्रैक पे निरीक्षण करने निकले एक ट्रेकमैन की सतर्कता ने कइयो की जान बचाई, महादेव की कृपा से ट्रेकमैन का ध्यान ट्रैक के उस जगह पे गया जहाँ पटरी को रोक कर रखने के लिए लगे हुए क्लिप ही गायब थे, 1 या दो नहो बल्कि 50 से 60 क्लिप लगातार गायब थे, जिसे देख ट्रैकमैन पुनः उलटी दिशा में 1 किमी दोडता गया और लाल सिग्नल देकर रेल को रुकवाया, गति तेज होने से रेल ठीक उन हटे हुए क्लिप से मात्र कुछ दुरी पर ही रुकी व कई लोगो की जान समय रहते बच गई, अन्यथा क्या होता ये सोच कर ही आत्मा सिहर उठती हे।।
अब सवाल ये है कि ये षड्यंत्र कोण कर रहा है?
लगातार 50 से 60 क्लिप हटना कोई आसान कार्य नही वो भी रात 2 बजे के करीब, कहीं इस देश की कुछ आतंकी समर्थित पार्टियो का या आतंकियों का षड्यंत्र तो नही मोदी सरकार को बदनाम करने का???
क्या , कुछ समय पूर्व हुए रेल हादसे जिसमे सैकड़ो लोग मारे गए वो भी इसी प्रकार का षड्यंत्र तो नही था???
विचारणीय है कि अब तक जो राजनितिक दल , तुष्टिकरण के लिए आतंकी के रिश्तेदार बन जाते हैं कहीं वो ही इन सबके पीछे तो नही????????
घटना की जानकारी भी मात्र जी न्यूज ही दिखा रहा है, क्या दूसरे चैनल भी पूर्ण रूप से हरामखोर हो गए हैं?
इतना बड़ा षड्यंत्र को वो क्यों नही दिखा रहे?
विचार जरूर करें।

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