काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मतलब युगदृष्टा भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय का वो स्वप्न जो आनें वाले समय में सम्पुर्ण राष्ट्र को दिशा व दशा तय करने को प्रतिबद्ध था
अपनें इसी दुरदर्शिता के परिणाम स्वरूप महामना के विश्वविद्यालय में सर सुन्दर लाल चिकित्सालय बनवाया
जहाँ मेडिकल,पैरामेडिकल के छात्र प्रैक्टिस करें एवं बीमार , लाचार की सेवा कर अपनें अंदर सामाज एवं राष्ट्र सेवा का भाव जागृत कर सकें
साथ ही साथ उन्होने सर सुन्दर लाल अस्पताल के रूप में गरीब , बीमार पुर्वान्चल के लोगो को एक संजीवनी भी दे दी
किन्तु उन्हे क्या पता था की उनके ही ये मानस पुत्र मुलमंत्र " सेवा " को ही दरकिनार कर देंगें
आज ऐसी ही बानगी अस्पताल में मिली जब मै अपनें पिता जी के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा
वहाँ पहुचकर देखा की पुरे अस्पताल में भगदड़ मची हूई है मरीज एवं उनकें परिजनों के चेहरे उतरे हुए हैं
बड़ी मशक्कत में बाद मैं काऊंटर पर पहूंचा तो देखा की कुछ मेडिकल के छात्र सीना गर्व से फुलाकर, चेहरे पर दंभ भरी मुस्कान का भाव लिए ,एपेरैन पहनें ,बैग पीठ पर लेकर निकल रहे थे
उनमें एक से मैने पुछा "भैया भगदड़ क्यु मची हुई हैं "
उन्होने कहाँ की "नेट चेक करो BC,
बेबसाईट पर पड़ा हुआ है "
फिर मैने पुछा "आपसब कहाँ जा रहें हैं "
उन्होने कहा कि "बकचोद हो क्या बे ,बोला न बेब पर पड़ा है "
तभी एक पुर्वान्चल के कीसी कोनें से आई एक चाची नें भोजपुरी में कहा कि "बाबू जी ई बेवेसाईट का होला "
हमार बच्चवा के बड़ी जोर के बुखार बा , तनीं देख लीतीं"
साहब के पास कोई जबाब नहीं था सो साहब चलते बनें
तभी रूधते हुए कंठ /भरे हुए गले से चाची बोलीं "सुबहिएं से परेशान बानीं , केहु नईखे सुनत "
यह बोलते ही चाची के आखें में आंसु आ गए
मैने चाची को अपातकाल चिकित्सा की सलाह देकर , वार्ड की तरफ भेज दिया
ये आंसु सिर्फ चाची के ही नीं अपितु पुरे पुर्वान्चल की जनता का है सभी बेबस हैं सभी लाचार हैं
अस्पताल की सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मी से पुछा तो पता चला की हड़ताल हुई है
मामला ये था कि विश्वविद्यालय के कुछ छात्र एवं मेडिकल के छात्रों के बीच विवाद हुआ एवं उसके बाद मेडिकल के छात्रों नें उस छात्र को मारा जिससे उस छात्र का सिर फट गया
आज उसी विवाद में अपनी स्थिति को मजबुत करनें के उद्देश्य के साथ ही हड़ताल की गई हैं बात तो दो गुटों या कुछ छात्रों के बीच की है लेकिन खुली गुंडागर्दी का आलम ये है की अस्पताल बंद है और उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखंड की गरीब बेबस जनता परेशान है
डाक्टर साहब धीरे धीरे गुड़े के रूप में तब्दील होते जा रहे है
सोचनीय विषय ये है कि बीएचयु में 5 संस्थान एवं 16 संकायों के 32000 छात्रों में सिर्फ एक ही संस्थान एवं 1 ही संकाय के छात्रों से हमेशा झगड़े क्यु होते रहे हैं
जमीनी हकीकत ये है कि डाक्टर साहब लोग कई बार मेडिकल एक्ट का धौंस भी झाड़ते हुए पाए जाते हैं
एक उदाहरण डाक्टर मीत मिनारे का भी है जिनका छात्रों, स्टाफ से हमेशा विवाद रहा
उनके उपर मारपीट के कई मामले भी दर्ज रहे
अतत: छात्रों के आंदोलन एवं संघर्षों के बाद संस्थान से निकाला गया
अतत: मै यही कहना चाहूंगा कि
अब मानव तन हैं तो रोग,व्याध तो होगा ही और गरीब भी है सो महंगे-महंगे अस्पतालों में इलाज नहीं करा सकते
इन्ही गरीब लोगों की संजीवनी सर सुदंरलाल अस्पताल का ये हाल है तो फिर गरीब कहाँ जाऐं ?
और डाक्टर साहब लोग आपसे एक नम्र निवेदन है कि कृपया अपनें हड़लात की सुचना पुर्व में ही अखबारों में निकलवा दें ताकि पुर्वान्चल समेत अन्य जनता बेवजह परेशान न हो
अपनें इसी दुरदर्शिता के परिणाम स्वरूप महामना के विश्वविद्यालय में सर सुन्दर लाल चिकित्सालय बनवाया
जहाँ मेडिकल,पैरामेडिकल के छात्र प्रैक्टिस करें एवं बीमार , लाचार की सेवा कर अपनें अंदर सामाज एवं राष्ट्र सेवा का भाव जागृत कर सकें
साथ ही साथ उन्होने सर सुन्दर लाल अस्पताल के रूप में गरीब , बीमार पुर्वान्चल के लोगो को एक संजीवनी भी दे दी
किन्तु उन्हे क्या पता था की उनके ही ये मानस पुत्र मुलमंत्र " सेवा " को ही दरकिनार कर देंगें
आज ऐसी ही बानगी अस्पताल में मिली जब मै अपनें पिता जी के इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा
वहाँ पहुचकर देखा की पुरे अस्पताल में भगदड़ मची हूई है मरीज एवं उनकें परिजनों के चेहरे उतरे हुए हैं
बड़ी मशक्कत में बाद मैं काऊंटर पर पहूंचा तो देखा की कुछ मेडिकल के छात्र सीना गर्व से फुलाकर, चेहरे पर दंभ भरी मुस्कान का भाव लिए ,एपेरैन पहनें ,बैग पीठ पर लेकर निकल रहे थे
उनमें एक से मैने पुछा "भैया भगदड़ क्यु मची हुई हैं "
उन्होने कहाँ की "नेट चेक करो BC,
बेबसाईट पर पड़ा हुआ है "
फिर मैने पुछा "आपसब कहाँ जा रहें हैं "
उन्होने कहा कि "बकचोद हो क्या बे ,बोला न बेब पर पड़ा है "
तभी एक पुर्वान्चल के कीसी कोनें से आई एक चाची नें भोजपुरी में कहा कि "बाबू जी ई बेवेसाईट का होला "
हमार बच्चवा के बड़ी जोर के बुखार बा , तनीं देख लीतीं"
साहब के पास कोई जबाब नहीं था सो साहब चलते बनें
तभी रूधते हुए कंठ /भरे हुए गले से चाची बोलीं "सुबहिएं से परेशान बानीं , केहु नईखे सुनत "
यह बोलते ही चाची के आखें में आंसु आ गए
मैने चाची को अपातकाल चिकित्सा की सलाह देकर , वार्ड की तरफ भेज दिया
ये आंसु सिर्फ चाची के ही नीं अपितु पुरे पुर्वान्चल की जनता का है सभी बेबस हैं सभी लाचार हैं
अस्पताल की सुरक्षा में लगे सुरक्षा कर्मी से पुछा तो पता चला की हड़ताल हुई है
मामला ये था कि विश्वविद्यालय के कुछ छात्र एवं मेडिकल के छात्रों के बीच विवाद हुआ एवं उसके बाद मेडिकल के छात्रों नें उस छात्र को मारा जिससे उस छात्र का सिर फट गया
आज उसी विवाद में अपनी स्थिति को मजबुत करनें के उद्देश्य के साथ ही हड़ताल की गई हैं बात तो दो गुटों या कुछ छात्रों के बीच की है लेकिन खुली गुंडागर्दी का आलम ये है की अस्पताल बंद है और उत्तर प्रदेश , बिहार , झारखंड की गरीब बेबस जनता परेशान है
डाक्टर साहब धीरे धीरे गुड़े के रूप में तब्दील होते जा रहे है
सोचनीय विषय ये है कि बीएचयु में 5 संस्थान एवं 16 संकायों के 32000 छात्रों में सिर्फ एक ही संस्थान एवं 1 ही संकाय के छात्रों से हमेशा झगड़े क्यु होते रहे हैं
जमीनी हकीकत ये है कि डाक्टर साहब लोग कई बार मेडिकल एक्ट का धौंस भी झाड़ते हुए पाए जाते हैं
एक उदाहरण डाक्टर मीत मिनारे का भी है जिनका छात्रों, स्टाफ से हमेशा विवाद रहा
उनके उपर मारपीट के कई मामले भी दर्ज रहे
अतत: छात्रों के आंदोलन एवं संघर्षों के बाद संस्थान से निकाला गया
अतत: मै यही कहना चाहूंगा कि
अब मानव तन हैं तो रोग,व्याध तो होगा ही और गरीब भी है सो महंगे-महंगे अस्पतालों में इलाज नहीं करा सकते
इन्ही गरीब लोगों की संजीवनी सर सुदंरलाल अस्पताल का ये हाल है तो फिर गरीब कहाँ जाऐं ?
और डाक्टर साहब लोग आपसे एक नम्र निवेदन है कि कृपया अपनें हड़लात की सुचना पुर्व में ही अखबारों में निकलवा दें ताकि पुर्वान्चल समेत अन्य जनता बेवजह परेशान न हो

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