Tuesday, 24 July 2018


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 आर्मी कोर्ट रूम में आज एक केस अनोखा अड़ा था!

छाती तान अफसरों के आगे फौजी बलवान खड़ा था!!

बिन हुक्म बलवान तूने ये कदम कैसे उठा लिया?

किससे पूछ उस रात तू दुश्मन की सीमा में जा लिया??

बलवान बोला सर जी! ये बताओ कि वो किस से पूछ के आये थे?

सोये फौजियों के सिर काटने का फरमान कोन से बाप से लाये थे??

बलवान का जवाब में सवाल दागना अफसरों को पसंद नही आया!

और बीच वाले अफसर ने लिखने के लिए जल्दी से पेन उठाया!!

एक बोला बलवान हमें ऊपर जवाब देना है!

और तेरे काटे हुए सिर का पूरा हिसाब देना है!!

तेरी इस करतूत ने हमारी नाक कटवा दी!

अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में तूने थू थू करवा दी!!

बलवान खून का कड़वा घूंट पी के रह गया!

आँख में आया आंसू भीतर को ही बह गया!!

बोला साहब जी! अगर कोई आपकी माँ की इज्जत लूटता हो?

आपकी बहन बेटी या पत्नी को सरेआम मारता कूटता हो??

तो आप पहले अपने बाप का हुकमनामा लाओगे?

या फिर अपने घर की लुटती इज्जत खुद बचाओगे??

अफसर नीचे झाँकने लगा!

एक ही जगह पर ताकने लगा!!

बलवान बोला साहब जी गाँव का गवार हूँ बस इतना जानता हूँ!

कौन कहाँ है देश का दुश्मन सरहद पे खड़ा खड़ा पहचानता हूँ!!

सीधा सा आदमी हूँ साहब! मै कोई आंधी नहीं हूँ!

थप्पड़ खा गाल आगे कर दूँ मै वो गांधी नहीं हूँ!!

अगर सरहद पे खड़े होकर गोली न चलाने की मुनादी है!

तो फिर साहब जी! माफ़ करना ये काहे की आजादी है??

सुनों साहब जी! सरहद पे जब जब भी छिड़ी लडाई है!

भारत माँ दुश्मन से नही आप जैसों से हारती आई है!!

ज्यादा कुछ कहूँ तो साहब जी दोनों हाथ जोड़ के माफ़ी है!

दुश्मन का पेशाब निकालने को तो हमारी आँख ही काफी है!!

और साहब जी एक बात बताओ!

वर्तमान से थोडा सा पीछे जाओ!!

कारगिल में जब मैंने अपना पंजाब वाला यार जसवंत खोया था!

आप गवाह हो साहब जी उस वक्त मै बिल्कुल भी नहीं रोया था!!

खुद उसके शरीर को उसके गाँव जाकर मै उतार कर आया था!

उसके दोनों बच्चों के सिर साहब जी मै पुचकार कर आया था!!

पर उस दिन रोया मै जब उसकी घरवाली होंसला छोड़ती दिखी!

और लघु सचिवालय में वो चपरासी के हाथ पांव जोड़ती दिखी!!

आग लग गयी साहब जी, दिल किया कि सबके छक्के छुड़ा दूँ!

चपरासी और उस चरित्रहीन अफसर को मैं गोली से उड़ा दूँ!!

एक लाख की आस में भाभी आज भी धक्के खाती है!

दो मासूमो की चमड़ी धूप में यूँही झुलसी जाती है!!

और साहब जी! शहीद जोगिन्दर को तो नहीं भूले होंगे आप!

घर में जवान बहन थी जिसकी और अँधा था जिसका बाप!!

अब बाप हर रोज लड़की को कमरे में बंद करके आता है!

और स्टेशन पर एक रुपये के लिए जोर से चिल्लाता है!!

पता नही कितने जोगिन्दर, जसवंत यूँ अपनी जान गवांते हैं?

और उनके परिजन मासूम बच्चे यूँ दर दर की ठोकरें खाते हैं!!

भरे गले से तीसरा अफसर बोला बात को और ज्यादा न बढ़ाओ!

उस रात क्या- क्या हुआ था बस यही अपनी सफाई में बताओ!!

भरी आँखों से हँसते हुए बलवान बोलने लगा!

उसका हर बोल सबके कलेजों को छोलने लगा!!

साहब जी! उस हमले की रात, हमने सन्देश भेजे लगातार सात, हर बार की तरह कोई जवाब नही आया!

दो जवान मारे गए पर कोई हिसाब नही आया!!

चौंकी पे जमे जवान लगातार गोलीबारी में मारे जा रहे थे!

और हम दुश्मन से नहीं अपने हेडक्वार्टर से हारे जा रहे थे!!

फिर दुश्मन के हाथ में कटार देख मेरा सिर चकरा गया!

गुरमेल का कटा हुआ सिर जब दुश्मन के हाथ में आ गया!!

फेंक दिया ट्रांसमीटर मैंने और कुछ भी सूझ नहीं आई थी!

बिन आदेश के पहली मर्तबा सर! मैंने बन्दूक उठाई थी!!

गुरमेल का सिर लिए दुश्मन रेखा पार कर गया!

पीछे पीछे मै भी अपने पांव उसकी धरती पे धर गया!!

पर वापिस हार का मुँह देख के न आया हूँ!

वो एक काट कर ले गए थे मै दो काटकर लाया हूँ!!

इस ब्यान का कोर्ट में न जाने कैसा असर गया?

पूरे ही कमरे में एक सन्नाटा सा पसर गया!!

पूरे का पूरा माहौल बस एक ही सवाल में खो रहा था!

कि कोर्ट मार्शल फौजी का था या पूरे देश का हो रहा था....????😢😢😢

Wednesday, 18 July 2018


मंगल पांडे जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि .....
19 जुलाई 1827 को जन्मे मंगल पांडे ब्रिटिश सेना की बंगाल नेटिव इन्फैंट्री [बीएनआई] की 34वीं रेजीमेंट के सिपाही थे। सेना की बंगाल इकाई में जब 'एनफील्ड पी-53' राइफल में नई किस्म के कारतूसों का इस्तेमाल शुरू हुआ, तो हिन्दू-मुस्लिम सैनिकों के मन में गोरों के विरूद्ध बगावत के बीज अंकुरित हो गए। इन कारतूसों को मुंह से खोलना पड़ता था। भारतीय सैनिकों में ऐसी खबर फैल गई कि इन कारतूसों में गाय तथा सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है तथा अंग्रेजों ने हिंदुस्तानियों का धर्म भ्रष्ट करने के लिए यह तरकीब अपनाई है।

इतिहासकार मालती मलिक के अनुसार, 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री का कमांडेंट व्हीलर ईसाई उपदेशक के रूप में भी काम करता था। 56वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री के कैप्टन विलियम हैलीडे की पत्‍‌नी उर्दू और देवनागरी में बाइबल की प्रतियां सिपाहियों को बांटने का काम करती थी। इस तरह भारतीय सिपाहियों के मन में यह बात पुख्ता हो गई कि अंग्रेज उनका धर्म भ्रष्ट करने की कोशिशों में लगे हैं।

नए कारतूस के इस्तेमाल और भारतीय सैनिकों के साथ होने वाले भेदभाव से गुस्साए मंगल पांडेय ने कलकत्ता के बैरकपुर छावनी में 29 मार्च 1857 को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उनकी ललकार से ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन में खलबली मच गई और इसकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी। संदिग्ध कारतूस का प्रयोग ईस्ट इंडिया कंपनी शासन के लिए घातक साबित हुआ।

गोरों ने हालांकि मंगल पांडे और उनके सहयोगी ईश्वरी प्रसाद पर कुछ समय में ही काबू पा लिया था, लेकिन इन लोगों की जांबाजी ने पूरे देश में उथल-पुथल मचाकर रख दी।

मंगल पांडे को आठ अप्रैल 1857 को फांसी पर लटका दिया गया। उनके बाद 21 अप्रैल को उनके सहयोगी ईश्वरी प्रसाद को भी फांसी दे दी गई।

बगावत और इन दोनों की शहादत की खबर के फैलते ही देश में फिरंगियों के खिलाफ जगह-जगह संघर्ष भड़क उठा। हिंदुस्तानियों तथा अंग्रेजों के बीच हुई जंग में काफी खून बहा। हालांकि बाद में अंग्रेज इस विद्रोह को दबाने में सफल हो गए, लेकिन मंगल पांडेय द्वारा 1857 में बोया गया क्रांति रूपी बीज 90 साल बाद आजादी के वट वृक्ष के रूप में तब्दील हो गया। भारतीय इतिहास में इस घटना को '1857 का गदर' नाम दिया गया। बाद में इसे आजादी की पहली लड़ाई करार दिया गया।

Tuesday, 17 July 2018






प्रिय राहुल गाँधी जी , 
सप्रेम नमस्कार ,
14 जुलाई 2018 दिन शनिवार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बेबसाईट पर प्रकाशित एक लेख पढा जिसका शीर्षक था " The Fallacy of Education at Banaras Hindu University" इसमें कई गलत तथ्यों के साथ साथ कई तथ्यों की गलत व्याख्या भी की गई है जिससे हम छात्रों की भावनाएँ आहत हुई है आप पार्टी के अध्यक्ष है इसीलिए यह पत्र आपके नाम लिख रहा हूँ
लेख में लिखा गया है कि प्रो. गिरीशचंद्र त्रिपाठी जी विश्वविद्यालय के कुलपति हैं जबकि सत्य यह है कि प्रो. राकेश भटनागर जी कुलपति है , प्रो. त्रिपाठी जी पुर्व में कुलपति रहे हैं, यह भी लिखा है कि प्रो. त्रिपाठी को कई अवसरों पर ABVP के झंडे उछालते भी देखा गया है यह तथ्य भी पुरी तरह से फर्जी है
प्रों. त्रिपाठी के खिलाफ भ्रष्टाचार सहित कई मामलों में पहला प्रदर्शन ABVP ने ही किया था जिसमें कई दिनों की भुख हड़ताल भी शामिल था 

कैम्पस में स्त्री द्वेंष का भी आरोप लगाया गया है जो की पुरी तरह से निराधार है,
यहाँ पितृसत्ता का भी घिनौना आरोप लगाया गया है जबकि सत्यता इससे कोसो दूर है विश्वविद्यालय में मुख्य सुरक्षाधिकारी समेत कई प्रमुख पदों पर महिलाएँ आसीन है 
छात्राओं को भोजन उनकी पंसद के अनुसार ही दिया जाता है कोई भेदभाव नहीं होता है कोई ड्रेस कोड नहीं है , शाम 8 बजे तक छात्रावास में रिपोर्ट करनें वाला तथ्य सहित परिसर में छात्र छात्राओ को साथ घुमनें पर "हमारे देश के सांस्कृतिक और पारंपरिक मूल्यों को बदनाम करनेवाली " कहकर प्राक्टर को सौप देने वाले तथ्य भी गलत है

ऐसा मै इसलिए पुरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ क्युकि मै भी अपनें छात्रा मित्रों के साथ रात में घुमता हूं एवं मुझे कभी किसी नें नहीं रोका , कई बार मै उन्हे छात्रावास छोड़ने रात 10 बजे भी गया हूँ 

लेख में यह भी  लिखा गया है कि "संघ" विश्वविद्यालय में घुसपैठ कर रहा है!
अध्यक्ष जी आपकी जानकारी के लिए बता दूं
कि संघ एक गैरराजनैतिक संगठन है 
इसकी पहली शाखा जो नागपुर के बाहर लगी थी वो कही और नहीं बल्कि श्री काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ही लगी थी जिसकी मंजूरी  किसी और नें नही बल्कि विवि के संस्थापक युगदृष्टा , प्रातंस्मरणीय, परमपुज्य भारतरत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी नें दी था !

अत: विश्वविद्यालय एवं संघ पर आरोप लगाना ठीक वैसा ही है जैसे महामना के दूरदर्शीता पर संदेह कर आरोप लगाना
जिसे हम महामना के मानसपुत्र कतई बर्ताश्त नहीं कर सकते 
बीएचयु खुले एवं बहुवचन विश्वविद्यालय के रूप में आज भी जगप्रतिष्ठित है अगर किसी ने कुछ खोया है तो वो है कांग्रेस नें अपना जनाधार ।

इसे बढानें हेतु आप अच्छे सामाजिक कार्य कर राष्ट्रनीति करें गंदी राजनीति नहीं 
यह लेख पढ कर कही से भी ये नहीं लगा कि यह किसी काँग्रेसी नें लिखा होगा
ऐसा प्रतित हो रहा है कि यह किसी वामपंथ के कुठींत विचार से ग्रसित व्यक्ति नें लिखा है

आपको यह विचार करना होगा कि आखिर ऐसा क्यु है कि दो बार लगातार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे महामना द्वारा प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में आप के विचार दम तोड़ रहे हैं 
अध्यक्ष जी आपसे निवेदन है कि अपनी राजनीति के लिए "राष्ट्रवाद की पाठशाला : बीएचयु" को उपकरण के रूप में इस्तेमाल करना बंद करें 




भवदीय ,
शुभम कुमार तिवारी 
विधि छात्र
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

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